एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष आकाश आहूजा |
Monday, January 17, 2011
मध्यप्रदेश में फेल हो गया कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी का अभियान
10:46 PM
shailendra gupta
भोपाल
jagran.yahoo.com
मध्यप्रदेश में फेल हो गया है कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी का अभियान। राहुल ने हाईटेक और पारदर्शी लहजे में एनएसयूआई के चुनाव कराए थे, पर साल भर में ही नतीजा सामने आ गया और पार्टी ने उनके आदेश पर प्रदेश अध्यक्ष को निष्क्रियता के आरोप में चलता कर दिया है।
साल भर पहले विधिवत निर्वाचित हुए एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष आकाश आहूजा पर आरोप है कि केंद्रीय कार्यालय से उन्हें जो दायित्व सौंपे गए थे, वे पूरे नहीं हो सके। दिल्ली से इस आशय की जबसे एक वाक्य की चिट्ठी प्रदेश कांग्रेस दफ्तर को प्राप्त हुई है, पार्टी में राहुल की कवायद पर ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं। चूंकि मामला सीधे तौर पर राहुल से जुड़ा है, लिहाजा कोई खुलकर तो नहीं बोल रहा पर अंदर ही अंदर यह कहा जा रहा है कि आहूजा को हटाने के इस फैसले से राज्य में पिछले सात सालों से बुरी तरह पिट रही कांग्रेस की मजबूती के लिए राहुल की मुहिम को एक और झटका लगा है।
आहूजा अब कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी से मुलाकात करने दिल्ली में भटक रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें यदि न्याय नहीं मिला तो वह कोर्ट की शरण में जाएंगे। यदि ऐसा हुआ तो यह प्रदेश कांग्रेस के इतिहास में अपनी तरह का पहला मामला होगा।
पहले यह खबर आई थी कि एनएसयूआई ने आहूजा के स्थान पर जबलपुर की पिंकी मुद्गल को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है पर अब कहा गया है कि प्रदेश इकाई के पदाधिकारी राष्ट्रीय महासचिव और मप्र के प्रभारी शहनवाज शेख के साथ समन्वय बनाकर काम करेंगे। पिंकी मुद्गल एनएसयूआई की प्रदेश महासचिव हैं और संगठन चुनाव में आहूजा ने उनको ही परास्त किया था। जैसे ही आहूजा को हटाए जाने की खबर पहुंची उन्होंने ऐलान कर दिया कि वह कब कार्यवाहक अध्यक्ष का पदभार कब संभालने वाली हैं।
जानकारों का यह भी कहना है कि संगठन के दिल्ली ऑफिस से जो पत्र आया, उसमें इस बात का कोई ब्योरा नहीं है कि कौन से टारगेट हासिल नहीं किए गए। पार्टी के एक नेता ने इस पूरे मामले पर दिलचस्प टिप्पणी की, 'यदि निर्वाचित अध्यक्ष को हटाने का मापदंड केवल निष्क्रियता ही है तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी में धर्म संकट की स्थिति पैदा हो जाएगी। कांग्रेस में ऐसे पदाधिकारियों की लम्बी सूची जो है।'
इधर, आहूजा को बिना कारण बताओ नोटिस के हटाए जाने से संगठन के कोई एक दर्जन पदाधिकारी इस्तीफा देने की तैयारी कर रहे हैं। सतना, भोपाल, विदिशा, रीवा, राजगढ़, टीकमगढ़, अनूपपुर आदि के पदाधिकारियों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है।
गौरतलब है कि राज्य के इतिहास में पहली बार चुनावों के जरिए एनएसयूआई कार्यकारिणी का गठन हुआ था। इसके तहत अध्यक्ष, दो महामंत्री तथा दो सचिव चुने गए, लेकिन चुनाव के बाद करीब साल भर के भीतर संगठन की केवल एक बार ही बैठक हुई।