Saturday, June 18, 2011
सोनिया गांधी इस पक्ष में है कि लोकपाल मजबूत होना चाहिए
1:22 AM
shailendra gupta
नई दिल्ली
लोकपाल बिल कांग्रेस सरकार के लिए गले की हड्डी हो गई है. जिसे ना वो उगल पा रही है और ना ही निगल पा रही है. क्योंकि अगर वो बिल बनाने का विरोध करती है तो सत्ता से जाती है और जनता का विश्वास खोती है. और अगर बिल बनाने के प्रति नागरिक समाज का सहयोग करती है तो भी सत्ता और जनता के विश्वास को खोती है और गठबंधन के लिए खतरा खड़ा करती है.
इसलिए बिल के मसले को अटकाने के लिए कांग्रेस पार्टी और यूपीए की केंद्र सरकार लोकपाल के मामले पर राय नहीं देने वाले राजनीतिक दलों के पाले में गेंद डालने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस कोर ग्रुप की शुक्रवार को हुई बैठक के बाद सरकार के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार ने कहा कि हम जरूरी होने पर इस मसले पर राजनीतिक दलों की एक बैठक भी मानसून सत्र के पहले बुला सकते हैं.
पार्टी ने यह भी तय किया है कि अगर नागरिक समाज के सदस्यों के साथ बात ज्यादा बिगड़ती है, तो पार्टी के बड़े नेता और मंत्री जनता के बीच जाकर लोकपाल के मसले पर अपना पक्ष रखेंगे. लेकिन इन सबसे पहले पार्टी और सरकार का पूरा फोकस 30 जून की तय सीमा के भीतर लोकपाल का ड्राफ्ट तैयार करने पर होगा. पार्टी सूत्रों ने कहा कि जिस तरह की स्थिति बन रही है उसे देखते हुए कई चरणों में पूरी योजना तैयार की गई है.
कल की बैठक में यह तय हुआ कि नागरिक समाज के दबाव के आगे बिना झुके सरकार विवादित मसलों पर फैसले का जिम्मा संसद के ऊपर छोड़ देगी. एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक, सरकार और पार्टी चाहती है कि एक मजबूत लोकपाल बने, लेकिन जो भी होगा वह संविधान के सभी स्तम्भों का सम्मान करते हुए ही होगा. पार्टी ने साफ किया है कि लोकतांत्रिक ढांचों की अवहेलना करके और सभी संस्थाओं को कठघरे में खड़ा करने की प्रवृत्ति देश के लोकतांत्रिक स्वरूप के लिए ठीक नहीं है.
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी दोनों इस पक्ष में है कि लोकपाल मजबूत होना चाहिए, लेकिन इसके दूरगामी असर को नजरअंदाज करके कोई फैसला नहीं हो सकता है. बैठक में प्रणब और चिंदबरम ने नागरिक समाज के साथ अब तक हुई बातचीत का पूरा ब्यौरा पेश किया. पार्टी ने हर मसले से निपटने के लिए रणनीतियां तैयार कि की बातचीत का रास्ता खुला रहेगा लेकिन दबाव स्वीकार नहीं करेगी सरकार. सरकार अपने तय एजेंडे के मुताबिक 30 जून तक ड्राफ्ट तैयार कर लेगी. संयुक्त समिति में शामिल मंत्री जनता के बीच जाकर अपनी बात रखेंगे. घटक दलों और अन्य राजनीतिक दलों को लामबंद करेंगे. बिल को तैयार करने में पूरी राजनीतिक प्रक्रिया का पालन किया जाएगा. कांग्रेस कंद्रीय समूह की बैठक में तय किया गया कि सरकार को नागरिक समाज के अव्यावहारिक सुझावों को बहुत तवज्जो देने की जरूरत नहीं है.
लोकपाल के मसले पर फंसें सरकारी खेमें में दिन भर बैठक और बातचीत का दौर जारी रहा. दोपहर साढ़े बारह बजे नार्थ ब्लॉक स्थित प्रणब दा के कमरे में लोकपाल पर संयुक्त समिति में शामिल सरकार के प्रतिनिधियों के बीच आंतरिक बैठक हुई. देर शाम पौने छह बजे कोरग्रुप की बैठक. बैठक के बाद पौने आठ बजे कपिल सिब्बल ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से अलग मुलाकात की.एजेंसी