This is default featured slide 1 title

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipisicing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation test link ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat

This is default featured slide 2 title

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipisicing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation test link ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat

This is default featured slide 3 title

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipisicing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation test link ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat

This is default featured slide 4 title

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipisicing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation test link ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat

This is default featured slide 5 title

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipisicing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation test link ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat

Saturday, June 18, 2011

बुंदेलखण्ड को राहुल के जन्मदिन पर रिटर्न गिफ्ट की आस

झांसी।
 सूखा, आत्महत्या और पलायन का पर्याय है बुंदेलखण्ड। दो साल पहले मिले विशेष पैकेज ने जो उम्मीद जगाई थी, वह बेकार हो चली है। अब एक बार फिर यहां के लोग कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी से आस लगा बैठे हैं कि उन्हें बुंदेलखण्ड की ओर से जन्मदिन पर उपहार के तौर पर दी जाने वाली बधाई का "प्रति उपहार" (रिटर्न गिफ्ट) जरूर मिलेगा जो उनके जख्मों पर मरहम का काम करेगा। बुंदेलखण्ड वर्षो से समस्याओं से दो-चार हो रहा है, लगातार मानसून के दगा देने से सूखा यहां की नियति बन चुका है, यही कारण है कि किसानों की आत्महत्या आम बात हो गई है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी की पहल पर इस इलाके को दो साल पहले 7200 करो़ड का विशेष पैकेज केंद्र सरकार ने मंजूर किया, मगर किसानों के हालात नहीं सुधरे क्योंकि इस पैकेज की राशि से उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। बुंदेलखण्ड में कुल 14 जिले आते हैं, इनमें से पांच मध्य प्रदेश व सात उत्तर प्रदेश के हैं, मगर सबका हाल एक जैसा है। गरीबी, पिछ़डापन, अशिक्षा तथा समस्याओं को तो यहां के लोगों ने अपना बना लिया है। दोनों राज्यों के मतदाताओं ने अपनी अपेक्षा को पूरा करने के लिए वक्त-वक्त पर सत्ता की बागडोर अलग-अलग दलों को सौंपी। सत्ताधारी दल बदले, मगर यहां की हालत नहीं बदली। उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के हिम्मतपुरा के किसान माता प्रसाद कहते हैं कि उन्होंने बुंदेलखण्ड की हालत में बदलाव आने की उम्मीद नहीं छो़डी है। दो साल पहले केंद्र सरकार ने 7200 करो़ड रूपये का पैकेज दिया था, मगर उस राशि से किसानों को कुछ नहीं मिला है, फिर भी आस है क्योंकि राहुल गांधी की प्राथमिकता में शामिल हो चुके बुंदेलखण्ड की कभी तो तस्वीर तथा तकदीर बदलेगी। बुंदेलखण्ड राहुल गांधी के लिए राजनीति की पाठशाला बन चुकी है।
यह बात उनके लगातार इस इलाके में होने वाले प्रवास व गरीब परिवारों के घरों में रात बिताने के वाकयों से जाहिर होती है। स़डक मार्ग से तो वह पूरे बुंदेलखण्ड को नाप चुके हैं। वह यहां की जनता की समस्याओं को लेकर झांसी में स़डक पर भी उतर चुके हैं। उत्तर प्रदेश हो या देश का कोई और कोना, जहां भी समस्याओं व विकास में पिछ़डे होने का जिक्र आता है, वहां राहुल गांधी बुंदेलखण्ड की चर्चा करने से नहीं चूकते हैं। इससे एक बात साफ हो जाती है कि उनके दिल व दिमाग में यह इलाका गहरी पैठ बना चुका है।
बुंदेलखण्ड में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन "परमार्थ" के संजय सिंह कहते हैं कि राहुल गांधी की पहल पर इस इलाके को 7200 करो़ड रूपये का विशेष पैकेज मिला है। यह राशि दोनों राज्य खत्म करने वाले हैं, मगर किसानों को कुछ नहीं मिला है। अगर किसी को कुछ मिला है तो वह है सरकारी महकमा। उत्तर प्रदेश की कांग्रेस कमेटी ने राहुल गांधी के जन्मदिन 19 जून को किसान दिवस के तौर पर मनाने का निर्णय लिया है। यही कारण है कि यहां के किसान उम्मीद लगाए हैं कि आने वाले दिनों में फिर उन्हें कुछ मिल सकता है, जो खुहशहाली की बयार बनकर आए।