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Wednesday, March 9, 2011

इज्ज़त तो कोई राहुल गाँधी की भी है...!

 -जगमोहन फुटेला- 
जिस जिस वेबसाईट ने भी राहुल गाँधी के हाथों किसी सुकन्या की इज्ज़त लुटने की खबर छापी,वो सभी अब खासकर हाईकोर्ट के फैसले के बाद आत्मचिंतन करें.खुद को कोसने नहीं,कोंचने की हद तक. दुष्यंत ने कहा था-जो बैठ रहेंगे तटस्थ,कभी समय लिखेगा उनका भी इतिहास...इस हवाले से एक प्रश्न मैं उन सभी पत्रकारों से भी पूछना चाहूंगा जिन्होंने ये पेशा किन्हीं आदर्शों और मानदंडों के साथ अपनाया और निभाया है.सवाल ये है कि राहुल गाँधी जैसी शख्सीयत से जुडी ये खबर क्या सरसरी तौर पर ही सनसनी फैलाने और घटिया टीआरपी पाने वाली नहीं थी?..
.राहुल गाँधी को छोड़िए,किसी के भी खिलाफ चरित्रहनन जैसी ऐसी खबर छापने से पहले उसकी भी कोई प्रतिक्रिया की दरकार नहीं थी?...खासकर तब कि जब छेड़छाड़,बलात्कार या अपहरण की किसी रिपोर्ट की कापी तक किसी के पास नहीं थी.जिन वीडियो का हवाला (लिंक समेत) भाई लोगों ने दिया उनमें भी किसी एक में भी ऐसी कोई हरकत या खुद सुकन्या या उसके परिवार की कोई बाईट नहीं थी!...सवाल मेरा पत्रकार बिरादरी से ये है कि क्या सभी को अपने भीतर तैरती उन मछलियों का इलाज करने की ज़रूरत नहीं है जो सारे तालाब को गन्दा करने पे तुली हैं. पत्रकारिता में कोई पैतीस साल के सफ़र में इस पेशे की हर नीच ऊंच से वाकिफ हूँ मैं.आप में से भी कई होंगे.क्या नहीं लगता कि इस खबर को दो दो टके की वेबसाईट से ले के यूट्यूब तक पे इस लिए भेजा,चलाया और प्रचारित किया गया कि इसमें देश का प्रधान मंत्री हो सकने वाला एक आदमी इन्वालव्ड था? बेशक खबर का आधार हाईकोर्ट के उस नोटिस को बनाया गया जो कभी भी किसी भी मामले में अक्सर जारी होता ही है. डूब मरो वेब साईट वालो इस मामले में राहुल गाँधी को तो कोई नोटिस भी जारी नहीं हुआ था. टीआरपी के लिए तुमने फिर भी तिल को ताड़ बना डाला.जैसे राहुल गाँधी की कोई इज्ज़त ही नहीं है. आप इतने ही धुरंधर खोजी पत्रकार थे तो क्यों नहीं खोजा सुकन्या को?...क्यों नहीं उसी की एक बाईट चला दी?...ऐसा करते तो दोनों ही सूरतों में तुम छा गए होते. आरोप में दम होता तो देश से कांग्रेस और नहीं तो कांग्रेस से गांधी परिवार का नाम मिट गया होता.बेबुनियाद निकलता तो वो चेहरे बेनकाब हो जाते जो सफेदपोश दिखने के लिए कितने ही कीचड़ में गिर सकते हैं. वो सब नहीं किया आपने,अब आज क्या पल्ले है आपके? माननीय हाईकोर्ट ने सीबीआई इन्क्वायरी और वेबसाईट ही बंद कर देने तक के आदेश दे दिए हैं. मुझे भी नहीं पता कि किस वेबसाईट को बंद करने का आदेश हुआ है.उम्मीद उन सभी से कम-ज-कम माफीनामे की तो की ही जानी चाहिए जिन्होंने हद दर्जे की गैरजिम्मेदारी दिखाई है.आग्रह भले पत्रकारों से भी है कि अपने पेशे की गरिमा की खातिर वे छीछालेदरों की कुछ तो 'खातिरदारी' करें..!!