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Monday, March 21, 2011

अमेरिकी राजदूत ने राहुल को ‘असरहीन’ और ऐसा राजनेता करार दिया जो भविष्य में कभी प्रधानमंत्री नहीं बन सकता

नई दिल्ली, एजेंसी
अमेरिका की भारत के मौजूदा वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी में दिलचस्पी और राहुल गांधी की योग्यता और प्रश्नचिन्ह से जुड़े गोपनीय संदेश भी सामने आए हैं जो इन्हें भारत के भावी प्रधानमंत्री के तौर पर देखता है। 21 जून 2005 के एक केबल के मुताबिक मुखर्जी (उस वक्त रक्षा मंत्री) उप प्रधानमंत्री की भूमिका निभा रहे हैं और उनकी नजर  पीएम की कुर्सी पर है। अमेरिका के तत्कालीन राजदूत डेविस मलफोर्ड की ओर से लिखे गए इस संदेश में प्रणब मुखर्जी को असरदार नेता बताया गया तो एक अन्य केबल में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की आलोचना की गई। तीन मार्च 2005 को लिखे एक संदेश में मलफोर्ड ने राहुल को ‘असरहीन’ और ऐसा राजनेता करार दिया जो भविष्य में कभी प्रधानमंत्री नहीं बन सकता।

विदेश मंत्रलय में महिला जासूस
 विदेश मंत्रलय में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों को सरकार से जुड़ी कई खुफिया जानकारी देती थी। अंग्रेजी दैनिक द हिंदू  ने विकीलीक्स के गोपनीय संदेशों का हवाला देते हुए यह खुलासा किया है। ये गोपनीय संदेश 15 अप्रैल 2008 की तारीख में अमेरिकी विदेश मंत्रलय को भेजे गए थे। इनके मुताबिक, भारतीय विदेश मंत्रलय की उस महिला अधिकारी ने अमेरिकी दूतावास को यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तेहरान दौरे या अहमदीनेजाद के भारत दौरे से जुड़े इससे पहले के आग्रह को ठुकरा दिया था। लेकिन अब उन्होंने ईरानी राष्ट्रपति के भारत दौरे के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है।
केवल मनमोहन ही भरोसमंद
पाकिस्तानी हुक्मरानों की नजर में भारत  में केवल एक ही व्यक्ति ‘सम्मान’ और ‘भरोसे’ लायक है और वो हैं मनमोहन सिंह। पाक में अमेरिकी राजदूत एनी पैटरसन की ओर से भेजे गए गोपनीय केबल के मुताबिक पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने 16 फरवरी 2010 को अमेरिकी सांसद जॉन केरी से इस्लामाबाद में एक बैठक के दौरान भारतीय नेताओं के बारे में यह टिप्पणी की थी।
23 फरवरी 2010 को भेजे गए इस संदेश में कहा गया, ‘जरदारी ने कहा कि मनमोहन सिंह सम्मान के पात्र हैं लेकिन उन्हें भारत के अन्य नेताओं पर भरोसा नहीं है।’ जरदारी ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब केरी डॉ. सिंह से हुई अपनी मुलाकात की उनके चर्चा कर रहे थे। पाकिस्तानी राष्ट्रपति की नजर में डॉ. सिंह पाकिस्तान से बातचीत के हमेशा पक्ष में रहते हैं।