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Saturday, May 21, 2011

राहुल बाबा, क्या आपको पता है कि हरी मिर्च ही पक कर लाल मिर्च बन जाती है

श्री लालकृष्ण अडवाणी पर आधारित ब्लॉग से लिया गया  लेख
स्वर्गीय राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे, तब उनके बारे में एक चुटकुला काफी मशहूर हुआ था। हुआ यूं कि राजीव जी एक दुकान पर गए। वहां उन्हें पता चला कि हरी मिर्च के मुकाबले लाल मिर्च काफी महंगी है। उनके बाद उन्होंने एक रैली को सम्बोधित करते हुए कहा, 'किसान भाईयों आप लोग हरी मिर्च की खेती करते हैं, जिसकी बहुत अधिक कीमत नहीं मिलती है। इसलिए आप लाल मिर्च की खेती कीजिए, ताकि आपको फसल की बेहतर कीमत मिल सके।'

राजीव जी के इरादों पर किसी को संदेह नहीं था। वे पूरी ईमानदारी से किसानों का भला चाहते थे। लेकिन समस्या यह थी कि एक कल्पना लोक में पले-बढ़े राजीव गांधी को इस देश की जमीनी हकीकत पता ही नहीं थी। उन्हें ये नहीं पता था कि हरी मिर्च ही पक कर लाल हो जाती है।
आज की हमारी पीढ़ी राहुल गांधी से रूबरू है। राहुल जी, क्या आपको पता है कि हरी मिर्च ही पक कर लाल हो जाती है। राहुल गांधी जब किसी दलित के घर रात गुजारते हैं, तो यह घटना खबर बन जाती है। जानते हैं क्यों? क्योंकि राहुल बाबा महलों के राजकुमार हैं। उनकी स्वभाविक जगह महलों में है। महल जमीन पर नहीं बनाए जाते हैं और इसलिए महल और उसमें रहने वाले जमीनी हकीकत से कोसों दूर होते हैं। राहुल बाबा अपवाद नहीं हैं। 
राहुल गांधी के बारे में कहा जाता है कि वे सीधे-सादे और ईमानदार व्यक्ति हैं। लेकिन, सीधा-सादा और ईमानदार तो मैं भी हूं तो क्या सिर्फ इस खासियत के कारण कोई मुझे कांग्रेस का महासचिव या देश का अगला प्रधानमंत्री बना देगा। आखिर ऐसा कब तक होता रहेगा कि कैबिनेट मिनिस्टर का बेटा कैबिनेट मिनिस्टर बनेगा और पीएम का बेटा पीएम? फिर लोकतंत्र में हमारी और आपकी भागीदारी कहां बची?
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और फिर ये राहुल गांधी ऐसे ईमानदार हैं, जिसने अपना हर कदम झूठ की बुनियाद पर रखा है। इन साहब की योग्यता एक बड़े बाप के बिगड़ैल बेटे से अधिक कुछ भी नहीं है यकीन नहीं आता है तो जरा इस लिंक पर जाकर देखिए।
राहुल भैया को सेंटस्टीफेन कालेज में दाखिला एक पेशेवर पिस्तौल शूटर के कोटे से मिला। जबकि उन्होंने कभी शूटिंग की ही नहीं है। सभी जानते हैं। उन्हें विशेष कोटे से हावर्ड में दाखिल कराया गया। इसके बाद वह कैम्ब्रिज पहुंचे, लेकिन राहुल गांधी बनकर नहीं, राउल विंची बनकर। क्यों भई? ऐसी क्या मजबूरी आ गई थी।
राहुल गांधी बताते हैं कि उन्होंने कैम्ब्रिज से एमफिल किया है, लेकिन न्यूजवीक मैगजीन का कहना है कि राहुल गांधी कैम्ब्रिज और हावर्ड की अपनी डिग्री पूरी ही नहीं कर सके हैं। क्या कदम-कदम पर बोले गए झूठ की बुनियाद पर आप मजबूत भारत की ईमारत खड़ी करेंगे?
बाकी राहुल गांधी बहुत अच्छे हैं। लेकिन आप सोच लीजिए कि आपको क्या चाहिए, लोकतंत्र या राजशाही? जल्दबाजी में फैसला न कीजिए। आराम से सोच लीजिए। लेकिन वोट देते समय सिर्फ सच्चे को चुनिए, अच्छे को चुनिए।